आयुर्वेद के अनुसार उपचार (Line of Treatment According To Ayurveda)
आयुर्वेदिक दृष्टि के अनुसार हर व्यक्ति और स्थिति के अनुसार ही व्यक्ति के रोग का निदान करना चाहिए. इसके साथ ही साथ ऋतु, काल और प्रदेश के अनुसार ही चिकित्सा को करना चाहिए. हर व्यक्ति की संरचना उसमें प्रस्तुत विकृति या दोष पर निर्भर करती है. इस अप्रतिम संरचना का जब भी असंतुलन होता है तब व्यक्ति के शरीर में रोग निर्मित होता है. आयुर्वेद के मूलभूत सिद्धांतों को समझकर हम इन रोगों को प्रारंभिक अवस्था में ही पकड़ सकते हैं तथा कुछ सरल उपायों द्वारा ही पुनः स्वस्थ को प्राप्त कर सकते हैं. आयुर्वेद के अनुसार जीवनचर्या को निर्मित कर हम रोगी होने की स्थिति से सर्वथा मुक्त रहते हैं. हम अपने संतुलित और स्वस्थ अवस्था को समझकर अपने शरीर की मूल प्रकृति को जान सकते हैं. यदि शरीर में रोग की अवस्था आ चुकी है फिर चाहे वह मध्यम अथवा तीव्र हो, उसे आयुर्वेदीय उपचार द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है. इसके साथ-साथ दैनिक जीवन को प्रकृति के साथ तालमेल बनाए रखने से स्वस्थ और रोग-मुक्त रहा जा सकता है. आयुर्वेदीय उपचार में तीनों दोषों की संतुलन हेतु विभिन्न प्रणालियों द्वारा शरीर में तंदुरुस्ती लाई जाती है. शार...